
महिलाओं के योगदान, अधिकारों और भूमिका को सम्मान देने के लिए प्रतिवर्ष 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन सम्पूर्ण विश्व में महिला समानता और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान के रूप में एक उत्सव की तरह होता है।
इस बात से तो हर कोई वाकिफ है कि महिलाओं ने हमेशा ही कड़ी मेहनत और साहस से नई नई ऊंचाइयों को छुआ है। आज महिलाएं हर मामले में पुरुषों के समान प्रगति कर रही हैं फिर भी उन्हें सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो कि समाज के बहुत ही शर्मनाक बात है। इसीलिए समाज में महिलाओं को समान अवसर दिलाने, आत्मनिर्भर बनाने और सपनों को साकार कराने में के उद्देश्य 1908 में न्यूयॉर्क की कामकाजी महिलाओं के संघर्षों के परिणामस्वरूप महिला दिवस की शुरुआत की गई। 1911 में औपचारिक रूप कई देशों में यह दिवस मनाया जाने लगा तथा 1977 में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने महिला दिवस को मनाने की आधिकारिक मान्यता दी।
महिलाओं को हर क्षेत्र में सक्षम बनाने के लिए महिला सशक्तिकरण जैसे शब्द की आवश्यकता महसूस होने लगी है। जो कि महिलाओं को सशक्त बनाने तक सीमित नहीं है बल्कि समाज और देश की प्रगति के लिए भी जरूरी है। कहावत है कि “जब एक महिला शिक्षित होती है तो पूरा परिवार शिक्षित होता है।” जो कि सच्चाई भी है। इस दिवस को मनाकर हम सबको यह संदेश देते हैं कि हर महिला को उनके अधिकारों से वंचित नहीं रहनी चाहिए तथा समाज में उनको भी एकसमान अवसर ही मिलने चाहिए।
महिला सशक्तिकरण क्यों जरूरी है?
महिलाएं हमेशा ही हर क्षेत्र में निरन्तर मेहनत कर प्रगति के रास्ते पर आगे बढ़ती रही हैं। फिर भी उन्हें समाज में हर तरह से चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। लैंगिक भेदभाव, घरेलू हिंसा, समान वेतन की कमी तथा शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं की कमी हमेशा ही महिलाओं के सामने दिक्कत ला खड़ी करती हैं और उन्हें प्रगति की ओर बढ़ने के बजाए पीछे हटने के लिए मजबूर करती है। जब महिलाओं को इन सभी तरह से एकसमान और मज़बूत बनाया जाएगा तो यही सही मायनों में महिला सशक्तिकरण शब्द का अर्थ होगा। जब महिलाएं शिक्षित होंगी, स्वस्थ होंगी तो समाज और देश भी प्रगति करेगा।
महिलाओं की उपलब्धियां-
बदलते वक्त के साथ महिलाएं हर क्षेत्र में अपना नाम रोशन कर रही हैं। आज महिलाएं शिक्षा, राजनीति, विज्ञान और तकनीक तथा खेल के क्षेत्र में तत्पर हैं। कल्पना चावला, मेरी कॉम, किरण बेदी, इंदिरा गांधी, सुषमा स्वराज, टेसी थॉमस, साइना नेहवाल, पीवी सिंधू, मिताली राज आदि वे प्रमुख नाम हैं जिन्होंने यह साबित किया है कि महिलाएं किसी से कम नहीं हैं। और यही वे नाम हैं जिनसे आज हम सभी महिलाएं प्रेरित हैं और बिना रुके बिना थके अपने सपनों को साकार करने की दौड़ में आगे बढ़ रही हैं।
महिलाओं को सहयोग करने के तरीके-
- महिला शिक्षा को प्राथमिकता देकर समाज में महिलाओं का समर्थन किया जा सकता है।
- महिलाओं को मानसिक तथा आर्थिक रूप से समर्थन प्रदान करके प्रोत्साहित किया जा सकता है।
- घर और कार्यस्थल पर महिलाओं को सम्मान और समानता का व्यवहार करना चाहिए।
- समय समय पर महिला जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिएं।
हमें यह बात जहन में रखनी चाहिए कि महिला दिवस वह दिन है जब महिलाओं की मेहनत, संघर्ष और सफलता को पहचानने का स्वयं को अवसर देना चाहिए। जब हर महिला शिक्षित होगी तो वह आत्मनिर्भर और सशक्त बनेंगी तथा समाज सही मायनों में प्रगति करेगा। तो आइए हम सब मिलकर संकल्प लें कि केवल महिला दिवस के दिन ही नहीं बल्कि हर ज़िंदगी महिलाओं के सम्मान और सशक्तिकरण की दिशा में निरंतर प्रयास करेंगे।
“महिला आज हैं, महिला कल हैं,
बिन महिला है ये समाज अधूरा,
इस बात का सदा रखें ध्यान कि,
सशक्त भारत की पहचान है महिला।।