देहरादून में सड़कों के किनारे बढ़ता कचरा- एक गम्भीर चिंता

देहरादून जो कि उत्तराखंड की राजधानी होने के साथ-साथ एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहाँ कि हरियाली और शांत वातावरण किसी को भी अपनी ओर मोहित करने के लिए काफी हैं। लेकिन इसका एक ओर दुखदायी रूप आज हमारे सामने निकलकर सामने आ रहा है। जहां आज यह शहर लगातार स्मार्ट सिटी बनने की ओर लगातार बढ़ रहा है वहीं दूसरी ओर सड़कों के किनारों पर ही लोगों द्वारा कचरे का फेंका जाना समाज की बड़ी दुर्दशा को व्यक्त करता है। वह एक बीता हुआ समय ही बनकर रह गया है जब देहरादून हरे भरे पेड़-पौधों और स्वच्छ वातावरण से परिपूर्ण हुआ करता था लेकिन आज ज्यादातर यहां दिखाई पड़ते हैं तो केवल कचरों के ढेर। यह स्थिति तो इतनी बदतर हो चुकी है कि शहर के गाँव और जंगल भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। इन सबको लेकर सबसे निराशाजनक तथ्य जो निकलकर सामने आता है वह है कि शहर के लोग ही जानबूझकर कचरे को यहां वहां फेंक दे रहे हैं। वे इस बात से अनजान हैं कि आने वाले समय में ये कचरा उनके जीवन को पूरी तरह नष्ट कर सकता है।

शहर की यह दुर्दशा देहरादून की पहचान को धूमिल कर रहा है। साथ ही इसका नकारात्मक प्रभाव स्वास्थ्य, वातावरण और शहर की छवि पर भी पड़ रहा है। इससे एक बड़ा सवाल खड़ा हो जाता है कि आखिर सड़कों पर कचरों के ढेर के होने का कारण क्या है? क्या सरकार शहर को कचरामुक्त रहने के प्रयासों में असफल हो रही है? या समाज में मौजूद लोगों की मानसिकता ही ऐसी है कि वे कचरे का निपटान करना ही नहीं चाहते? इस लेख में हम इसी गम्भीर मुद्दे पर गहराई से चर्चा करेंगे। और इसके सम्भावित समाधानों पर भी चर्चा करेंगे।

क्या हैं कारण?

1. असमय कचरा ठहराव- शहर में नगर निगम द्वारा अक्सर ही कचरा उठाने की प्रक्रिया में लापरवाही दिखाई पड़ती है। कई इलाकों में 3-4 दिन तक भी कचरा नहीं उठाया जाता है। कई लोग नगर निगम का दरवाजा इस समस्या को खटखटाते दिखाई पड़ते हैं।

2. सही कंडीशन तथा पर्याप्त मात्रा में डस्टबिन की कमी- शहर में सार्वजनिक स्थलों पर पर्याप्त मात्रा में डस्टबिन का न होना आम है। और यदि डस्टबिन हैं भी तो उनकी कंडीशन न होने जैसी ही है। उदाहरण के लिए कुछ डस्टबिन तो इतने गन्दे दिखाई पड़ते हैं कि लोग उन्हें इस्तेमाल ही नहीं करना चाहते, और कुछ डस्टबिन या तो ओवरफ्लो रहते हैं या टूटे हुए। यही वजह है कि कूड़ा अक्सर ही लोग सड़कों पर यहां वहां फेंक देते हैं।

3. लोगों की लापरवाही और जागरूकता की कमी- कचरे का यूं सड़कों पर दिखाई पड़ना लोगों की लापरवाही और जागरूकता न होने का परिणाम है। लोग जानबूझकर कचरे को यूं हीं कहीं भी फेंक देते हैं और अपने हाथों से ही अपने शहर को ओर शहर की छवि को गंदा करते हैं।

4. बढ़ती आबादी और शहरीकरण- देहरादून की आबादी बीते कुछ वर्षों से दोगुनी स्पीड से बढ़ती नज़र आई है। लेकिन कचरा प्रबंधन की व्यवस्था तो जस की तस पड़ी है।

प्रभाव-

कचरा एक ऐसी समस्या है जिसके केवल नकारात्मक परिणाम ही हैं। यह प्रकृति को तो नुकसान पहुंचाता ही है साथ ही यह स्वास्थ्य और पर्यटन को भी प्रभावित करता है।

1. स्वास्थ्य पर असर- बढ़ता कचरा हमारा स्वास्थ्य को भी बुरी तरह प्रभावित करता है। इससे मच्छर और मक्खी जैसे कीट जन्म लेते हैं जो कि डेंगू, टाइफाइड और त्वचा संबंधी बीमारियां फैलाते हैं।

2. पर्यटन पर असर- एक समय था जब देहरादून का नाम सुनते ही प्राकृतिक सुंदरता, हरियाली और स्वच्छ वातावरण का नाम मस्तिष्क में आता था लेकिन आज शहर में सड़कों के किनारों पर पड़े कचरों के ढेर तो देहरादून की अलग ही छवि प्रस्तुत करते हैं। जो कि हम सभी दूनवासियों को शर्मशार करने के लिए काफी है।

3. पर्यावरणीय नुकसान- कचरों के ढेर में अत्यधिक मात्रा में प्लास्टिक बैग्स तथा प्लास्टिक का सामान होता है, जो कि किसी जहर की तरह काम करता है। ये कचरा मिट्टी और जलप्रदूषण का प्रमुख कारक बनता है।

समाधान क्या हो सकते हैं?

1. सख्त कचरा प्रबंधन- नगर निगम को समय पर कचरा उठाने और उसकी प्रोसेसिंग की व्यवस्था पर ध्यान देना होगा।

2. सार्वजनिक जागरूकता- अगर शहर को सही मायनों में कचरामुक्त बनाना है तो जन जन तक कचरे से होने वालों नुकसान, इससे सही तरीके से निपटान और डस्टबिन के उपयोग की बारे में जानकारी पहुंचाना अनिवार्य है।

3. स्वच्छता अभियान- शहर में मोहल्ले के स्तर पर सफाई अभियान जैसी मुहिम को चलाया जा सकता है। जिसमें स्थानीय लोगों की भागीदारी होना अनिवार्य होना चाहिए।

4. प्लास्टिक पर बैन- प्लास्टिक एक प्रदूषक है जो हमारी प्रकृति के लिए बेहद खतरनाक है। यह कभी न समाप्त होने वाली चीज है। इसीलिए प्लास्टिक पर पूरी तरह से बैन लगना चाहिए। इसकी जगह पर बायोडिग्रेडेबल विकल्पों को उपयोग में लाया जा सकता है।

देहरादून जैसे प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर शांत शहर में सड़कों के किनारों में कूड़े के ढेर का दिखाई पड़ना केवल सफाई की समस्या नहीं है बल्कि यह सम्पूर्ण शहर की नकारात्मक छवि को लेकर एक गम्भीर ओर चिंताजनक मुद्दा है। यदि समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाला समय हम सभी के लिए बेहद दुःखदायी होगा।

इस बात को हम सभी को अपने ज़ेहन में बैठा लेनी होगी कि कचरा प्रबंधन केवल सरकार की या केवल एक या दो व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि शहर के हर व्यक्ति को इस ओर कदम बढ़ाना होगा। एक छोटे स्तर से शुरू करके पूरे शहर को स्वच्छ रखा जा सकता है। इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर के आसपास साफ सफाई का विशेष ध्यान देना होगा। यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा पूरे शहर को कचरामुक्त रखने का।

अब समय आ चुका है देहरादून को फिर से स्वच्छ, सुंदर और हरा-भरा बनाने का। याद रखें यह शहर केवल किसी एक व्यक्ति का नहीं है यह यह तो यहां निवास करने वाले हर व्यक्ति का शहर है। इसीलिए हम सबकी जिम्मेदारी है इस शहर को स्वच्छ और हरा-भरा रखने है। यही सबसे बेहतरीन तरीका भी है देहरादून को स्मार्ट सिटी बनाने का। तो आज से ही शहर को कचरामुक्त बनाने का संकल्प लें और खुद को देहरादूनवासी होने पर गौरान्वित महसूस करें।

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