भारत में रेडियो का इतिहास: एक टाइमलाइन

रेडियो संचार का एक श्रव्य माध्यम है जहाँ किसी व्यक्ति की आवाज़ ही उसकी पहचान होती है। यह संचार का एक ऐसा माध्यम है जिसकी पहुंच देश के हर व्यक्ति तक है तथा यह सस्ता होने के साथ-साथ सुलभ भी है। इसका मुख्य कार्य जानकारी तथा मनोरंजन करना है। रेडियो की शुरुआत ब्रिटिश शासन के दौरान ही हो गयी थी। हर दौर में रेडियो का एक अनोखा, दिलचस्प और नया रूप देखने को मिला है। एक समय था जब रेडियो से सीमित कार्यक्रमों का प्रसारण ही किया जाता था परंतु आज रेडियो की प्रकृति पूरी तरह से बदल गयी है। आज रेडियो पर 24×7 अलग-अलग शैलियों के कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति की रुचि को ध्यान में रखा जाता है। यही वजह है कि रेडियो का दायरा दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है और डिजिटल और इंटरनेट रेडियो का चलन भी शुरू हो गया है। इस लेख में हम भारत में रेडियो के ऐतिहासिक सफर को एक टाइमलाइन के रूप में समझेंगे।

ऑल इंडिया रेडियो का सफर-

1. रेडियो क्लब ऑफ बॉम्बे-पहला कार्यक्रम1923
2. इंडियन ब्रॉडकास्टिंग सर्विस1927
3. इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस (ISBS)1930
4. ऑल इंडिया रेडियो (इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग से बदलकर)1936
5. पहला राष्ट्रीय संगीत कार्यक्रम1952
6. रेडियो टॉक (अंग्रेजी)1953
7. रेडियो संगीत सम्मेलन1954
8. आकाशवाणी1956
9. विविध भारती19577
10. विविध भारती विज्ञापन सेवा1967
11. युवावाणी1969
12. पहली बार लोकसभा चुनावों के लिए रेडियो पर प्रत्यक्ष प्रसारण1977
13. फोन इन प्रोग्राम फॉर्मेट और एफएम रेनबों1993
14. ओं डिमांड सर्विस1998
15. विविध भारती के 4 स्टेशन खुले-
1. जबलपुर
2. जम्मू
3. जमशेदपुर
4. कोयम्बटूर
2000
16. ऑल इंडिया रेडियो डीटीएच और कम्युनिटी रेडियो2002
17. किसानवाणी2004
18. न्यूज़ ओं फोन सर्विस2010

लोगों को उनकी सुविधा के अनुसार कार्यक्रमों का प्रसारण कर रेडियो ने समाज लोकप्रियता हासिल की है। आज यह हर उम्र के लोगों का मनपसंद बनता जा रहा है। सीमित प्रसारण के साथ शुरू हुआ रेडियो का सफर आज देश के कोने कोने में पहुंच चुका है। रेडियो ने जन जन की आवाज़ बनकर लोगों को भी इसका हिस्सा बनाया है। वक़्त के साथ रेडियो का सफर ओर भी दिलचस्प होता जा रहा है। आज यह पारम्परिक ट्रांसमीटर तक सीमित नहीं है बल्कि इंटरनेट रेडियो, पॉडकास्ट और मोबाइल एप के जरिये अपनी पहचान ओर भी अधिक विकसित कर रहा है। जिससे यह साबित होता है कि रेडियो का यह सफर भविष्य में ओर भी फलेगा फूलेगा।

आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीकों का भी रेडियो में समावेश देखने को मिलेगा और रेडियो कहीं ऊंची ऊंचाइयों में आसमानों को छुएगा।

“रेडियो का सफर केवल अतीत की कहानियों तक सीमित नहीं है”

यह तो एक झलक है आने वाले कल की।”

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