
नवरात्रि का पर्व सम्पूर्ण भारतवर्ष में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। नौ दिनों के इस खास पर्व में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। इस त्यौहार का धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। इस दौरान हम शक्ति, उपासना, आत्मचिंतन और सकारात्मक ऊर्जा को महसूस कर पाते हैं। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, जो कि पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। दूसरी दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है, जो कि ज्ञान और संयम की देवी के रूप मानी जाती हैं। तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा होती है। इनके मस्तक पर अर्धचंद्र है और ये साहस और अद्भुत शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा होती है। माना जाता है कि इन्होंने ही ब्रह्मांड की उत्पत्ति की है। पांचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती है, जो कि मातृत्व और करुणा का प्रतीक मानी जाती हैं। छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। जिन्हें साहस और न्याय की देवी माना जाता है। सातवे दिन माँ कालरात्री की पूजा होती है जिन्हें मां काली और भय का नाश करने वाली देवी के नामों से भी जाना जाता है। आठवे दिन माँ महागौरी की पूजा की जाती है जिन्हें सौंदर्य, शांति और करुणा की देवी का रूप माना जाता है। नवे दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है जिन्हें सभी को सिद्धि देने वाली देवी के रूप में भी जाना जाता है।
नवरात्रि के नवे दिन माँ दुर्गा के सभी रूपों की पूजा करने के बाद नवमी पूजन किया जाता है। कई लोग सप्तमी तथा अष्टमी पूजन भी करते हैं। नवरात्रि के त्यौहार केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है बल्कि यह माता रानी की कृपा पाने का सबसे मधुर तरीका है। इस लेख में हम बताएंगे कि नवमी पूजन किस तरह से करना चाहिए ताकि श्रद्धा और सादगी के साथ मां का आशीर्वाद भक्तों को मिल सके।
1. सुबह की तैयारी-
- सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- पूजा का स्थान साफ करें और लाल या पीले रंग के कपड़े से आसन बिछाएं।
- एक छोटी चौकी या मेज़ पर देवी की मूर्ति रखें।
2. पूजन सामग्री-
- माँ दुर्गा की मूर्ति।
- रोली।
- चावल।
- फूल।
- अगरबत्ती।
- दीपक या दीया।
- नारियल।
- कलश।
- पान।
- सुपारी।
- फल।
- मिठाई।
- हलवा-पूरी।
- लाल चुनरी और चूड़ियां।
3. कलश स्थापना-
- एक साफ मिट्टी या तांबे के लोटे में पानी भरें। उसमें आम के पत्ते रखकर ऊपर नारियल रखें।
- कलश के पास दीपक जलाएं।
4. माँ सिद्धिदात्री की पूजा-
- हाथ में फूल लेकर माँ के सामने शीश झुकाकर कहें “माँ अपनी कृपा दृष्टि सदैव बनाए रखें।
- माँ को रोली, चावल, फूल, मिठाई और अन्य सभी चीज़े अर्पित करें।
- माँ सप्तशती या नवमी की आरती पढ़ें।
5. कन्या पूजन-
- पांच, सात, नौ या ग्यारह कन्याओं के साथ एक छोटे लड़के (लँगूर) को पूजन के लिए आमंत्रित करें।
- उनके पैर धुलाकर साफ जगह पर आसन पर बैठाएं।
- हलवा, पूरी तथा चने खिलाएं।
- अब उन्हें दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लें।
ध्यान रखने योग्य बातें-
- सच्चे मन और भक्ति से ही माँ की पूजा अर्चना करें। क्योंकि विधि में भावनाएं बेहद महत्व रखती हैं।
- कन्या पूजन के लिए कन्याएं उपलब्ध न हो पाने की स्थिति में माता को ही कन्या रूप मानकर पूजें और क्षमा मांग लें।
नवरात्रि का त्यौहार माँ दुर्गा के सभी रूपों को समर्पित बेहद ही खास पर्व है। सच्चे मन, आस्था और सही विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। नवरात्रि के नौ दिन हमें एक अच्छा और सच्चा इंसान बनने के लिए प्रेरित करते हैं। नवमी का दिन शक्ति, सिद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है।
“मातारानी की जय हो।”