
भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां प्रत्येक नागरिक को वोट देने का अधिकार प्राप्त है। हालांकि इस अधिकार का सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए राजनीती और सरकारी क्रियाकलापों संबधी जागरूकता का होना बेहद जरूरी है। भारत में राजनीति जैसे महत्वपूर्ण विषय को समझने में आज भी भारत की जनसंख्या पीछे रह गई है। यह जागरूकता की कमी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर कर रही है जिससे कि समाज के हर वर्ग पर नकारात्मक प्रभाव दिखाई दे रहा है।
देश के ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीतिक शिक्षा की बहुत कमी है। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को तो अपने मतदान के अधिकार तक के बारे में पता ही नहीं है। सरकार निर्माण में उनके एक वोट की क्या वैल्यू होती है इसका पता इन लोगों को है ही नहीं। यहां तक की ग्रामीण लोग तो उनके लिए बनायी गयी सरकारी नीतियों तक से वाकिफ नहीं हो पाते हैं। हालांकि स्कूलों और कॉलेज में राजनीति और संविधान के बारे में बच्चों को पढ़ाकर इस स्थिति को बदला जा सकता है।
आज का समय सोशल मीडिया का समय है। आज हर तरह की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंचाई जा रही है। सोशल मीडिया संचार का एक सस्ता और सुलभ साधन है जिससे आज हर कोई वाकिफ है। सोशल मीडिया पर हर राजनीतिक पार्टी अपना प्रचार-प्रसार करती है लेकिन कहीं ना कहीं सोशल मीडिया के जरिए भ्रामक और पक्षपातपूर्ण जानकारी भी तेजी से फैल जाती है जिन पर लोग आसानी से भरोसा कर लेते हैं। और किसी एक राजनीतिक पार्टी के लिए एक निश्चित सोच मन में पैदा कर लेते हैं।
चुनाव के प्रति जागरूकता ना होने के वजह से लोगों में वोट डालने का उत्साह भी खत्म होने लगा है। लोगों के मन में यह भ्रम पैदा हो चुका है कि उनका एक वोट किसी बड़े बदलाव का कारण नहीं बनेगा। इसीलिए देश का एक बड़ा हिस्सा चुनावी प्रक्रिया में भाग ही नहीं लेता है। उदाहरण के लिए, 2024 में हुए भारत के आम चुनाव में कुल 642 मिलियन यानी 64.2 करोड़ मतदाताओं ने मतदान किया और चुनावी भागीदारी लगभग 61.63 प्रतिशत रही। जिसका साफ-साफ मतलब यह है कि लगभग 39℅ मतदाताओं ने वोट नहीं डाले हैं। अगर लोग यह समझ पाएं कि उनका एक वोट देश के राजनीति को किस तरह से प्रभावित करता है तो आने वाले समय में वोट देने वालों की संख्या काफी हद तक बढ़ जाएगी।
चुनावी गतिविधियों में आम जन की रुचि का कम होने का एक बड़ा कारण यह भी है कि कई बार राजनीतिक दल अपनई प्रचार रणनीतियों के जरिए जनता को भ्रमित करते हैं और चुनाव के लिए किए गए अपने वादों को भूल जाते हैं। जिससे जनता हताश होती है और वह इस चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा बनने में बिल्कुल भी इच्छुक नहीं रहती हैं।
अगर हम भारत में राजनीतिक जागरूकता को बढ़ाना चाहते हैं तो सबसे पहले सभी स्तरों पर लोगों को राजनीति से संबंधित सही-सही जानकारी प्रदान की जानी चाहिए। शिक्षा प्रणाली में राजनीतिक जागरूकता को शामिल किया जाए और नागरिकों को उनके एक वोट की वैल्यू को भी समझाया जाए। इसके अलावा सोशल मीडिया और मीडिया का सही उपयोग कर लोगों तक सही जानकारी पहुंचानी चाहिए। इससे लोकतंत्र को और भी सशक्त बनाया जा सकता है जो कि आम जन के हित में होगा।