
ऑस्कर अवार्ड विश्व फ़िल्म जगत के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है, जो कि नेशनल अकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा दिया जाता है। इसकी शुरुआत 1929 में हुई थी। इसका ऑफिशियल नाम “अकेडमी अवार्ड ऑफ मेरिट” है। जिसे सामान्यतया अकेडमी अवार्ड के नाम से पुकारा जाता है। यह अवार्ड हर साल फरवरी महीने में हॉलीवुड के कोडेक थियेटर में आयोजित एक भव्य समारोह के दौरान बेस्ट फ़िल्म तथा कलाकारों को दिया जाता है। पहली बार ऑस्कर अवार्ड समारोह का आयोजन रूजवेल्ट होटल में किया गया था।
ऑस्कर अवार्ड से जुड़ी कुछ जरूरी बातें-
1. इस अवार्ड की खास बात यह है कि इसमें दी जाने वाली प्रतिमा को काली मेटल बेस पर सोने की परत चढ़ाकर बनाया जाता है।
2. इस बहुमूल्य अवार्ड को प्राप्त करने वाले व्यक्ति इसे बेच नहीं सकते। जिसके लिए उनसे पहले ही एग्रीमेंट कर लिया जाता है। और यदि वे इसे बेचते हैं तो सबसे पहले उन्हें अकेडमी को 1 डॉलर की राशि देनी होगी।
3. जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ऑस्कर अवार्ड प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति थे। जिन्हें 1938 में बेस्ट स्क्रीन प्ले के लिए ऑस्कर अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
4. बॉब डिलन ऑस्कर अवार्ड पाने वाले दूसरे व्यक्ति हैं। जिन्हें 2000 में इस अवार्ड से सम्मानित किया गया।
5. महबूब खाँ के निर्देशन में बनी भारतीय फिल्म मदर इंडिया 1958 में सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फ़िल्म की श्रेणी में नामांकित हुई।
6. भानु अथैय्या ऑस्कर पाने वाली पहली भारतीय महिला हैं।
ऑस्कर अवार्ड के लिए नामांकित प्रमुख भारतीय फिल्में तथा उनके निर्देशक-
फ़िल्म | रिलीज वर्ष | निर्देशक |
1. मदर इंडिया (ऑस्कर के लिए नामित पहली भारतीय फिल्म) | 1957 | महबूब खाँ। |
2. सलाम बॉम्बे | 1988 | मीरा नायर। |
3. लगान | 2001 | आशुतोष गोवरिकर। |
4. श्वास (मराठी फ़िल्म) | 2004 | संदीप सावंत। |
5. पहेली | 2005 | अमोल पालेकर। |
6. रंग दे बसंती | 2006 | राकेश ओमप्रकाश मेहरा। |
7. स्लमडॉग मिलेनियर (ऑस्कर प्राप्त) | 2008 | डेनी बॉयल। |
8. गांधी (कॉस्ट्यूम डिजाइन के लिए ऑस्कर पाने वाली पहली फिल्म) | 1982 | रिचर्ड एटनबरो। |
भारतीय सिनेमा का सफर हमेशा से ही बेहद ही दिलचस्प रहा है। और ऑस्कर अवार्ड जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार ने फिल्मों के इस सफर को ओर भी शानदार और प्रेरणादायक बना दिया है। शुरुआत में भारतीय फिल्में केवल नामांकन तक ही सीमित रही लेकिन धीरे-धीरे आज भारतीय फिल्में जीत की ओर भी कदम बढ़ा रही हैं। हाल ही में “नाटू नाटू” जैसे गाने और “द एलिफेंट व्हिसपर्स” डॉक्यूमेंट्री ने ऑस्कर अवार्ड पाकर यह साबित किया है कि भारतीय सिनेमा अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान साबित करने में सक्षम हो रहा है।
भारतीय फिल्मों का ऑस्कर में शामिल होना यह बताता है कि सिनेमा केवल मनोरंजन का साधन नहीं है बल्कि यह तो जरिया है समाज को समाज का आईना दिखाने का। आज भारत का सिनेमा सौ साल से भी अधिक पुराना हो चुका है लेकिन हर बार इसमें कुछ नया जरूर देखने को मिलता है, जो हर व्यक्ति को किसी न किसी तरह से इसका कायल बनाता है।