उत्तराखंड में 23 जनवरी 2025 को होने वाले नगर निगम चुनाव प्रदेश के शहरी प्रशासन और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होंगे। इन चुनावों में 11 नगर निगम, 46 नगर पंचायत और 43 नगर पालिकाओं में नए प्रतिनिधियों का चयन किया जाएगा। यह चुनाव स्थानीय स्तर पर सफाई, जलापूर्ति, यातायात, कचरा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों पर केंद्रित हैं।
सभी दल अपनी अपनी रणनीतियों के साथ मैदान में है। जहां सत्तारूढ़ भाजपा अपनी विकास नीतियों को आगे बढ़ाने की बात कर रही है। वहीं कांग्रेस बदलाव की मांग को लेकर चुनावी जंग में है। महिलाओं और युवाओं की बढ़ती भागीदारी ने इन चुनावों को और अधिक प्रासंगिक बना दिया है।
उत्तराखंड की शहरी जनता के लिए यह चुनाव केवल प्रतिनिधि चुनने का मौका नहीं है बल्कि अपने शहर के भविष्य को आकार देने का अवसर भी है।
चुनाव कार्यक्रम और सार्वजनिक अवकाश-
राज्य निर्वाचन आयोग ने घोषणा की है कि 23 जनवरी को मतदान के दिन प्रदेश के सभी नगर निकाय क्षेत्रों में सार्वजनिक अवकाश रहेगा। इस दौरान सभी सरकारी कार्यालय, शैक्षणिक संस्थान, सरकारी निकाय और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान बंद रहेंगे ताकि कर्मचारी अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।
चुनाव से जुड़े प्रमुख तथ्य-
- राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव के लिए पूरी तैयारी कर ली है। मतदान प्रक्रिया सुबह 7 बजे से शाम 5 तक चलेगी।
- मतदाता सूची का पुनरीक्षण और मतदान केंद्रों का निर्धारण हो चुका है।
- भारतीय जनता पार्टी ने अपने शहरी विकास कार्य और “डबल इंजन सरकार” के मॉडल को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया है।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस विपक्षी दल सत्तारूढ़ की पार्टी की विफलताओं को उजागर करते हुए बदलाव की मांग कर रहा है।
- अन्य दल और निर्दलीय उम्मीदवार क्षेत्रीय और स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
- इस बार महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की संख्या में वृद्धि हुई है। महिला प्रत्याशियों की भागीदारी इन चुनावों को ओर अधिक महत्वपूर्ण बना रही है।
- देहरादून नगर निगम 100 वार्डों वाले इस नगर निगम में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला है।
- हल्द्वानी और ऋषिकेश के नगर निगम में भी रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा।
- श्रीनगर नगर निगम में पांच महिला उम्मीदवारों के मैदान में उतरने से चुनावी समीकरण दिलचस्प हो गए हैं।
प्रमुख मुद्दे-
- शहरी क्षेत्रों में कचरा प्रबंधन और स्वच्छता एक बड़ी चुनौती है।
- बढ़ती वाहनों की संख्या और सीमित पार्किंग सुविधा प्रमुख मुद्दा है।
- पीने के पानी की कमी और खराब पानी सीवरेज सिस्टम शहरी निवासियों के लिए परेशानियों का कारण बन रहे हैं।
- पर्यावरण और ग्रीन स्पेस की कमी शहरी इलाकों में एक बड़ा मुद्दा है।
चुनाव की चुनौतियां-
- मतदाताओं को अपनी प्राथमिकताओं को समझते हुए सही उम्मीदवार का चयन करना होगा।
- लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए लोगों को मतदान के प्रति जागरूक करना महत्वपूर्ण है।
- चुनाव आयोग को निष्पक्षता सुनिश्चित करनी होगी ताकि कोई अनियमितता ना हो।
मतदान के बाद का कार्यक्रम-
चुनाव के बाद 25 जनवरी 2025 को मतगणना होगी। जिसके परिणाम से नए नगर निगम और नगर पंचायत अध्यक्षों का चयन होगा। ये प्रतिनिधि अगले 5 वर्षों तक शहरी प्रशासन का नेतृत्व करेंगे।
अंत में, उत्तराखंड में 23 जनवरी को होने वाले नगर निगम चुनाव राज्य के शहरी विकास, प्रशासन और लोकतंत्र की मजबूती के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर हैं। ये चुनाव केवल स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों के चयन तक सीमित नहीं है बल्कि यह देश की जनता के विश्वास और उनकी प्राथमिकताओं का प्रतिबिंब भी है। स्थानीय समस्याओं जैसे सफाई, जल आपूर्ति, यातायात प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण के समाधान के लिए सक्षम नेतृत्व का चयन आवश्यक है। इस चुनाव में महिलाओं और युवाओं की बढ़ती भागीदारी लोकतंत्र की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। मतदाताओं की भागीदारी और सही प्रतिनिधि का चयन ही इन चुनावों को सफल बनाएगी। इसीलिए सभी नागरिकों से अपील है कि वे 23 जनवरी को अपने मताधिकार का प्रयोग करें और राज्य के शहरी विकास को एक नई दिशा दें।