
नौ दिनों तक आस्था और विश्वास के साथ मनाया जाने वाला नवरात्रि का पर्व पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। नौ दिनों के इस पवित्र त्यौहार में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा जाती है। और आखिरी दिन व्रत की समाप्ति के साथ विशेष रूप से कन्या पूजन किया जाता है। लेकिन यहाँ एक बड़ा और महत्वपूर्ण सवाल उठता है कि आखिर नवरात्रि में कन्या पूजन क्यों किया जाता है? अगर आपके मन में भी यह सवाल आता है तो यह आर्टिकल आपके लिए जवाब लेकर आया है। तो चलिए आसान तरीके से इस सवाल के जवाबों को समझते हैं।
1. कन्याओं को देवी का रूप माना जाता है-
हिन्दू धर्म में कन्याओं को माँ दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। नवरात्रि मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और कन्याओं को माँ दुर्गा के इन रूपों का जीवन्त प्रतीक कहा जाता है। इसीलिए कन्या पूजन करना अर्थात माँ दुर्गा को सम्मान देने समान है।
2. नारी शक्ति का सम्मान-
कन्या पूजन केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है बल्कि यह एक सन्देश है कि महिलाएं भी सशक्त हैं तथा वे किसी से कम नहीं है, उनका भी समाज में पुरुषों के समान ही योगदान है। जब समाज में कन्याओं को सम्मान मिलता है तो एक विकसित समाज का निर्माण होता है।
3. भक्ति और समर्पण का प्रतीक-
कन्या पूजन में कई तरह के विधि विधानों को शामिल किया जाता है। जिनमें कन्याओं के पैर धोना, आशीर्वाद लेना, भोजन कराना तथा उपहार देना आदि शामिल है। ये सभी विधि विधान माता रानी के प्रति भक्ति और समर्पण को दर्शाते हैं।
4. सामाजिक जागरूकता का संदेश-
कन्या पूजन समाज में व्यापक महिलाओं के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण को समाप्त करने का संदेश देता है। अतः बेटियां बोझ नहीं हैं बल्कि यह तो माता रानी का आशीर्वाद हैं जो हर किसी के नसीब में नहीं होती। कन्या पूजन की परंपरा समाज में बालिका शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा तथा समानता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सोचने का एक जरिया है।
5. धार्मिक मान्यता-
शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने भी देवी की आराधना करके असुरों को पराजित किया था। इसीलिए कहा जाता है कि नारी में सम्पूर्ण संसार की शक्ति समाविष्ट है। नवरात्रि का त्यौहार दिव्यशक्ति को आभार प्रकट करने का एक जरिया है।
कन्या पूजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है बल्कि यह एक खास मौका है नारी को सम्मान देने का। यह बताता है कि देवी केवल मंदिरों तक सीमित नहीं है बल्कि देवी तो हर घर में मौजूद है। बस जरूरत है तो नज़रिया बदलने की। महिलाओं को सम्मान देना ही असल मायनों में कन्या पूजन का मकसद है, जिसके लिए मुझे, आपको और हम सबको मिलकर कदम बढ़ाना होगा।